( तर्ज - पिया मिलनके काज आज ० )
दिल भटके विषयनमें ,
हरिके , गुण गाता नहि है ।
बार बार समझाऊँ तोभी ,
नहि माने कहि है ॥टेक ॥
चली जा रही आयू पलपल ,
खबर उसे नहि है ।
बिगड रही यह काया प्यारी ,
जमके घर वहि है ॥१ ॥
सद्गुरु हमरे ! कहो क्या करें ?
खबर हमें नहि है ।
तुमरि दयाविन व्यर्थ भार सव ,
मेरे मन गहि है ॥२ ॥
क्या जाने किस समय प्राण यह ,
जमके घर जै है ? ।
तुकड्यादास कहे सुधि लीजो ,
थोरि उमर रहि है ॥ ३ ॥
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